What is Computer Booting or Bootable? कंप्यूटर बूटिंग क्या होती है
बूटिंग क्या होता है। What Is Booting ?
जब कंप्यूटर पोस्ट की प्रक्रिया को पूरी कर लेता है तब विंडो को लोड करने का काम करता है। जिसके लिए यह बायोस(Bios) के प्रोग्राम के अनुसार हर बूट डिवाइस में बूटिंग फाइल देखता है।
"असल में बूटिंग एक अनुक्रम (Sequence) होता है। जो बायोस प्रोग्रामर के द्वारा पहले से ही बायोस में स्टोर रहता है। इस प्रक्रिया में एक-एक करके बूटिंग डिवाइस को कंप्यूटर ढूंढ़ता है "
जिस डिवाइस(Device) में बूटिंग फाइल(Booting File) मिल जाती है। तो कंप्यूटर विंडो लोडिंग शुरू कर देता है।
निर्माता के द्वारा पहला बूट डिवाइस Floppy Disk Drive को बनाया जाता है। लेकिन यूजर(User) अपने अनुसार बायोस में बूटिंग का डिवाइस को चुन सकता है।
Default Boot Option In CMOS/BIOS SETUP
First Boot Device - Floppy
Second Boot Device - HDD 0
Third Boot Device - CDROM
Boot Other Device - Enabled
Second Boot Device - HDD 0
Third Boot Device - CDROM
Boot Other Device - Enabled
बूटिंग ऑप्शन को बदले की जरुरत क्यों पड़ती है।
यदि किसी कंप्यूटर में दो या अधिक हार्ड डिस्क लगी है। और दोनों में विंडो इनस्टॉल है। मान लीजिये HDD1 और HDD2 लेकिन आपको HDD2 से कंप्यूटर को बूट करना है तो आपको फर्स्ट बूट डिवाइस में HDD2 को फर्स्ट बूट करना पड़ेगा नहीं तो प्योरिटी में जो पहले होगा उससे ही कंप्यूटर बूट कर जायेगा।विंडो इनस्टॉल करते समय :
जब किसी कंप्यूटर या लैपटॉप में नयी विंडो डाली जाती है तो आप जिस डिवाइस से विंडो डालते है उसको फर्स्ट बूट बनाना पड़ता है।यदि आप cd से विंडो डालते है तो cd को बायोस में जाकर बूट ऑप्शन में cdrom को फर्स्ट बूटिंग डिवाइस बनाना पड़ेगा।
इसी तरह से Pen Drive , usb cdrom, usb hdd , Lan जिस डिवाइस से विंडो इनस्टॉल करनी है उसे फर्स्ट बूट पर सेट करना होगा तभी कंप्यूटर उस डिवाइस से बूट करेगा नहीं तो , कंप्यूटर हार्ड डिस्क से बूट कर जायेगा। या फिर Insert Boot Media Disk का Error Message Screen पर दिखाई देगा। यह मैसेज तब भी आएगा यदि आप जिससे विंडो डालना चाहते है वह बूटेबल नहीं होगा या सही से Bootable बना नहीं होगा।
बायोस सेटअप में जाने के लिए कंप्यूटर के स्टार्ट होते ही Del, F2, Ctrl+Alt दबाते है। बायोस निर्माता के अनुसार अलग अलग होते है।
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बूटिंग प्रोसेस क्या है ?
वास्तव में पॉवर स्विच ऑन करने से लेकर डॉस प्रांप्ट आने तक की पूरी प्रक्रिया बूटिंग प्रोसेस कहलाती है| जिसमे मुख्य रूप से डॉस, डिस्क से रेम (RAM) में लोड होता है तथा कुछ अन्य क्रियाए संपन्न होती है | ये क्रियाये तथा इनका क्रम निम्नलिखित है –
POST |
BOOT RECORD |
DOS KERNAL |
SYSTEM CONFIGURATION |
COMMAND.COM |
AUTOEXE.BAT |
DOS PROMPT |
- पोस्ट (POST) :-पॉवर ऑन होते ही कंप्यूटर सबसे पहले अपनी स्वयं की मेमोरी तथा जुड़े हुए सभी उपकरणों को चेक करता है की वे सही कार्य कर रहे है या नहीं और कही कनेक्शन निकला तो नहीं है यह प्रक्रिया पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट या संक्षेप में पोस्ट कहलाती है |किसी भी प्रकार की समस्या होने पर सम्बंधित error message आता है |
- बूट रिकॉर्ड (BOOT RECORD):-पोस्ट द्धारा की जाने वाली चैकिंग के बाद कंट्रोल बूट रिकॉर्ड को स्थान्तरित हो जाता है जो डिस्क के विषय में संपूर्ण जानकारी डिस्प्ले करता है यह जानकारी डिस्क से सूचनाये निकालने के लिए आवश्यक है|
- डॉस कर्नल (DOS KERNAL) :-यह तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण चरण है जिसमे डॉस कर्नेल मेंमोरी में लोड होता है डॉस कर्नल ऑपरेटिंग सिस्टम का केंद्रीय भाग होता है जो दो विशेष सिस्टम फाइलो से मिलकर बनता है ये दोनों ही फाइले हिडन मोड में होती है|
- सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन (SYSTEM CONFIGURATION):-डॉस कर्नल लोड होने के बाद कंप्यूटर इस चरण में CONFIGURATION FILE को ढूढता है तथा इस फाइल के दिए गये पैरामीटर के अनुसार सिस्टम की विभिन्न internal setting करता है | SYS एक ऐसी फाइल है जिसमे प्रयोगकर्ता स्वयं अपनी आवश्यकता के अनुसार सिस्टम सेटिंग से सम्बंधित विभिन्न मानो को निर्धारित कर सकता है |
- कमांड कोम फाइल (COMMAND.COM):-पांचवे चरण में डॉस की एक और महत्वपूर्ण फाइल COM मेमोरी में लोड होती है | डॉस के सभी इन्टरनल कमांड इस फाइल के माध्यम से चलते है |
- ऑटो एक्सिक्युटेबिल बैच फाइल (BAT):-इस चरण में COMMAND.COM फाइल स्वयं ही AUTOEXEC.BAT फाइल को ढूढकर चलाता है | AUTOEXEC.BAT एक बैच फाइल है जिसके द्धारा हम सिस्टम की date, time तथा विभिन्न सॉफ्टवेर के पाथ सेट कर सकते है |
- डॉस प्रोम्प्ट (DOS PROMPT):-उपर्युक्त पूरी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अंततः मोनिटर पर डॉस प्रोम्प्ट दिखाई देता है जो यह बताता की डॉस लोड हो चुका है, और कंप्यूटर हमारे कार्य करने के लिए तैयार है |
बूटिंग प्रक्रिया के प्रकार (Types of Booting):-
- Cold booting
- Warm booting
Cold booting: – जब हम कंप्यूटर का main switch off करके on करते है तो यह Cold booting कहलाता है |
Warm booting: – Warm booting में हम कंप्यूटर की reset key and ctrl+alt+delete तीनो keys को एक साथ press करके पुनः boot करते है कंप्यूटर को boot करने लिए M.S.DOS में तीन फाइल्स MSDOS.SYS, IO.SYS एवं COMMAND.COM होना अत्यंत आवश्यक है| इनमे प्रथम दो files hidden files होती है तथा COMMAND.COM एक file होती है |
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